पत्थर की मूरत बोल पड़ी क्या मुझे मनाने आया है लिरिक्स
पत्थर की मूरत बोल पड़ी क्या मुझे मनाने आया है,
तेरे घर में जननी तड़प रही, क्या तुझे तरस नहीं आया है,
पत्थर की, मूरत बोल पड़ी…
घर में तेरी, मईया भूखी है, क्या उस से, भोजन की पूछी,
मुझे भोग, लगाने को बेटा, यह छप्पन, भोग लाया है,
पत्थर की, मूरत बोल पड़ी…
प्यासी घर में, तेरी माँ बैठी, बूंद बूंद को, बेटा तरस रही,
क्या मुझे, पिलाने को बेटा, तूँ भर भर, लोटा लाया है,
पत्थर की, मूरत बोल पड़ी…
तेरी माँ के, कपड़े फ़टे हुए, एक साड़ी, तक ना लाया है,
और मुझे, ओढ़ाने को बेटा, तूँ लाल, चुनरिया लाया है,
पत्थर की, मूरत बोल पड़ी…
तेरी एक, झलक को पाने को, कब से तेरी, मईया तरस रही,
मेरी एक, झलक ही पाने को, तूँ मीलों, चलकर आया है ,
पत्थर की, मूरत बोल पड़ी…
तूँ अपनी, माँ को मना लेना, सीने से, उसे लगा लेना,
तेरे सारे, कष्ट ही मिट जाएंगे, क्यों मुझे, मनाने आया है ,
पत्थर की, मूरत बोल पड़ी…
सुन लो अब, दुनियाँ वालो तुम, अपने मात पिता की, सेवा करो,
उस में ही, माँ दुर्गा बैठी, महाँ माया की, सब माया है ,
पत्थर की, मूरत बोल पड़ी…
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