खाटू में फूलों सा फूल जाती हूँ लिरिक्स
खाटू में फूलों सा फूल जाती हूँ,
जाने क्या होता है सब कुछ भूल जाती हूँ,
जैसे ही चौखट की धुल पाती हूँ,
जाने क्या होता है सब कुछ भूल जाती हूँ…
मन को भाति हैं सीढ़ी वो तेरह,
पहली पे होता दूर अँधेरा,
मांगू मैं कैसे बिन मांगे मिलता,
मुरझाया मन ये फूलों सा खिलता,
सबको तेरे जैकारो में मशगूल पाती हूँ,
जाने क्या होता है सब कुछ भूल जाती हूँ…
तीसरी सीढ़ी सबसे है न्यारी,
चौथी ने मेरी किस्मत सँवारी,
पांचवी सीढ़ी पे जैसे आई,
कानो में मुरली की धुनि सुनाई,
खों में जब खुद को कूल पाती हूँ,
जाने क्या होता है सब कुछ भूल जाती हूँ…
सातवीं सीढ़ी जब आगे आये,
धड़कन दिलों की बढ़ती ही जाए,
आठवीं मन की आस जगाये,
दरसन सांवरिया जल्दी दिखाए,
और नवी सीढ़ी पर जाते ही ज,
जब साड़ी बातों को फ़िज़ूल पाती हूँ,
जाने क्या होता है सब कुछ भूल जाती हूँ…
दस और ग्यारह पे हो खेल सारा,
आँखों का बदले पल में नज़ारा,
बारह की छोडो समझो क्या तेरह,
ठाकुर करे सीधे दिल में बसेरा,
जब दिल से कर उसको क़ुबूल पाती हूँ,
जाने क्या होता है सब कुछ भूल जाती हूँ…
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