
कन्हैया ले चल परली पार लिरिक्स
कन्हैया ले चल परली पार, साँवरिया ले चल परली पार,
जहां विराजे राधा रानी, अलबेली सरकार…
विनती मेरी मान सनेही, तन मन है कुर्बान सनेही,
कब से आस लिए बैठी हूँ, जग को बाँध किये बैठी हूँ,
मैं तो तेरे संग चलूंगी, ले चल मुझको पार,
साँवरिया ले चल परली पार…
गुण अवगुण सब तेरे अर्पण, पाप पुण्य सब तेरे अर्पण,
बुद्धि सहत मन तेरे अर्पण, यह जीवन भी तेरे अर्पण,
मैं तेरे चरणो की दासी, मेरे प्राण आधार,
साँवरिया ले चल परली पार…
तेरी आस लगा बैठी हूँ, लज्जा शील गवा बैठी हूँ,
मैं अपना आप लूटा बैठी हूँ, आँखें खूब थका बैठी हूँ,
साँवरिया मैं तेरी रागिनी, तू मेरा राग मल्हार,
साँवरिया ले चल परली पार…
जग की कुछ परवाह नहीं है, सूझती अब कोई राह नहीं है,
तेरे बिना कोई चाह नहीं है, और बची कोई राह नहीं है,
मेरे प्रीतम, मेरे माझी, अब करदो बेडा पार,
साँवरिया ले चल परली पार…
आनंद धन जहा बरस रहा, पीय पीय कर कोई बरस रहा है,
पत्ता पत्ता हरष रहा है, भगत बेचारा क्यों तरस रहा है,
बहुत हुई अब हार गयी मैं, क्यों छोड़ा मझदार,
साँवरिया ले चल परली पार…
Kanhaiya Le Chal Parli Paar Lyrics Video
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