आरती हनुमत प्यारे की लिरिक्स
आरती हनुमत प्यारे की,
पवन सुत राम दुलारे की…
आरती हनुमत प्यारे की,
पवन सुत राम दुलारे की…
आप प्रभु स्वयं रुद्रअवतार,
राम की सेवा सरस विचार,
प्रगट भए सेवक कपि तनुधार…
हे अंजना मार…केसरी तार …हरस बली जार,
कियती कपि कुल उजियारे कि…. पावन सुत…
सुहावन चंचल बरन शरीर,
बिराजत ह्रदय सिया रघुवीर,
दिखाए छातीचीर महावीर…
बुद्धि बलधाम..धरे प्रभु राम ..गुणतगुण नाम,
प्राण तन मन धन वारे की…. पावन सुत…
दास नहीं दूजो अस कोऊ ओर,
स्वामी रघुवर समर्थ सिर मोर,
अप्रियतम चरण दिइद इचढोर…
बाल ब्रह्मचारी .. सियाराम के पुजारी.. हरी भक्त चारी,
संतान भक्तान रखवारे की … पावन सुत…
मेह निधि नारायण को दास,
करत श्री चारननो में अरदात,
कृपा करही हड़ हायहु दूस चात…
येदे हो प्रभु भक्ति… सो सेवा सक्ति… चरण अनु रत्ती,
मैथिली गाय आधारे की… पावन सुत…
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